Thursday, June 14, 2012

जाने क्या क्या छूट गया

कुदरत का आंचल छूट गया,
वो प्यार का दामन छूट गया,
जाने क्या-क्या छूटा हमसे,
वो प्यारा बचपन छूट गया.

जब याद मुझे वो आता है,
दिल मन ही मन पछताता है,
पतझड़ में खड़ा मैं आज यहाँ,
वो रिमझिम सावन छूट गया.

ना भला था, ना बुरा था,
दिल दिल से सच्चा जुड़ा था,
अब हाय, मतलबी दुनिया में,
निर्दोष वो बंधन छूट गया.

ना चाह थी मुझको पाने की,
ना कुछ खोने का डर ही था,
अब आज की आपाधापी में,
वो कल का जीवन छूट गया.

कुछ अनछुए पन्ने