कभी जो देखोगी मुड़ के, मुझको याद करोगी ना,
कभी यूँही चलते फिरते, मुझको याद करोगी ना.
सावन की ठंडी फुहारों में, जब याद तुम्हारी आती है,
अनभीगे से रह जाते हैं, बूँदें जब तन छू जाती हैं,
उस वक़्त कभी तुम भी शायद, ठण्डी आँहें भरोगी ना
मुझको याद करोगी ना
पतझड़ का मौसम जब आये, तपती सी हवाएं चलती हैं,
बिन पानी हम तो तड़पते हैं, होंठों पर पपड़ी पड़ती है,
गर तुम्हें हमारी खबर मिले, अश्रु बरसात करोगी ना
मुझको याद करोगी ना...
कभी यूँही चलते फिरते, मुझको याद करोगी ना.
सावन की ठंडी फुहारों में, जब याद तुम्हारी आती है,
अनभीगे से रह जाते हैं, बूँदें जब तन छू जाती हैं,
उस वक़्त कभी तुम भी शायद, ठण्डी आँहें भरोगी ना
मुझको याद करोगी ना
पतझड़ का मौसम जब आये, तपती सी हवाएं चलती हैं,
बिन पानी हम तो तड़पते हैं, होंठों पर पपड़ी पड़ती है,
गर तुम्हें हमारी खबर मिले, अश्रु बरसात करोगी ना
मुझको याद करोगी ना...
beet gaya sawan ka mahinaa mausam ne nazare badlin
ReplyDeletelekin in pyasii ankhon se abtak aansoo behte hain