एक और एक

एक ने तोडा जिंदगी को, एक ने यूँ सवार दिया,
एक ने ना चाहा मुझको, और एक ने इतना प्यार दिया,
एक कि खातिर हमनें,  खुद को यूँ तनहा किया,
फिर एक ने जाने कब कैसे, तन्हाई से उबार दिया.

एक की नफरत ने, नींदें मेरी उड़ा दी,
एक ने मेरी नींदों पर, मीठे सपने का वार किया,
उस एक की ज़िल्लत ने, मुझे इतना रुलाया है,
जितना मुझे, इस एक ने सत्कार दिया.

है एक, जिसकी चाहत ने मुझे बर्बाद किया,
और वो एक है, जिसने मुझसे प्यार किया
जा, छोड़ दिया, उस एक को आज मैंने,
और एक किसी को मैंने अपने, तन मन का अधिकार दिया.

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